1. 13.28 हर मानव शरीर यात्रा के आरंभ समय से ही कल्पनाशीलता और कर्म स्वतंत्रता का प्रकटन रहता ही है।
  2. 13.29 कल्पनाशीलता ही सोच, विचार, अध्ययन करने का स्रोत है। कर्म स्वतंत्रता ही प्रयोग, कार्य, व्यवहार करने का आधार है। इसी क्रम में शोध अनुसंधान परंपरा है।
  3. 13.30 मानव सहज अध्ययन पूर्वक मानवीय संविधान शिक्षा व्यवस्था व उत्पादन कार्य-व्यवहार विधि स्पष्ट होता है। यह मानवत्व है।
  4. 13.31 मानवत्व हर जागृत नर-नारी सहज आचरण में, से, के लिए प्रमाणित होता है।
  5. 13.32 मानवत्व हर नर-नारी का स्वत्व है।
  6. 13.33 मानवत्व हर नर-नारी में समानता का सूत्र है।
  7. 13.34 मानवत्व अखण्ड समाज सार्वभौम व्यवस्था का सूत्र है।
  8. 13.35 मानवत्व सर्व मानव का स्वत्व है।
  9. 13.36 मानवत्व सर्व मानव का अधिकार है।
  10. 13.37 मानवत्व ही मूल्यांकन का आधार है।
  11. 13.38 मानवत्व ही परस्परता में संबंध व सम्मान सहज सूत्र है।
  12. 13.39 मानवत्व ही समानता व श्रेष्ठता सहज आधार बिन्दु है।
  13. 13.40 मानवत्व ही मानव सहज पहचान है।
  14. 13.41 मानवत्व शिक्षा संस्कार का सूत्र व्याख्या है।
  15. 13.42 मानवत्व मानव परंपरा, अखण्डता, सार्वभौमता, अक्षुण्णता सहज सूत्र व्याख्या है।
  16. 13.43 मानवत्व मानव परंपरा में जागृति सहज प्रमाण है।
  17. 13.44 मानवत्व मानव में, से, के लिए स्वयंस्फूर्त होने का स्रोत है।
  18. 13.45 मानवीय शिक्षा-संस्कार का प्रमाण मानवत्व है।
  19. 13.46 समझदारी पूर्वक किया गया व्यवहार कार्य व्यवस्था में ज्ञान, विवेक, विज्ञान का स्पष्ट होना ही मानवीयतापूर्ण परंपरा है।
  20. 13.47 मानवीयता पूर्ण आचरण में, से, के लिए ज्ञान, विवेक, विज्ञान प्रमाणित होता है।
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