निर्वाह जीवन सहज नियंत्रण
- 13.84 हर मानव में समझदारी होना ही मानवीयता पूर्ण आचरण स्पष्ट होता है।
- 13.85 विधि के आधार पर नैतिकता तन-मन-धन रूपी अर्थ का सदुपयोग और सुरक्षा के रूप में प्रमाणित होता है।
- 13.86 जागृति सहज अधिकार विधि सम्पन्नता ही मानवत्व है।
- 13.87 मानवत्व सहित नैतिकतापूर्वक, किया गया कार्य-व्यवहार समेत परिवार व्यवस्था, समग्र व्यवस्था में भागीदारी नैतिकता सहज प्रमाण है।
- 13.88 जागृतिपूर्वक जीने का अधिकार, विधि व नैतिकता से संयुक्त अभिव्यक्ति सम्प्रेषणा प्रकाशन मानवत्व है।
12.14 मानवत्व सहज प्रमाण सूत्र
- 14.1 सहअस्तित्व में अनुभव सहित प्रमाणित होना = जागृति और मानवत्व है।
- 14.2 अखण्ड समाज सार्वभौम व्यवस्था स्वीकृत प्रमाण होना मानवत्व है।
- 14.3 मानवत्व :- मानव चेतना, देव चेतना, दिव्य चेतना सहज परंपरा।
- 1) मानवीयता पूर्ण आचरण मानवत्व है।
- 2) परिवार व्यवस्था में समाधान व समृद्धि सहज प्रमाण मानवत्व है।
- 14.4 दश सोपानीय व्यवस्था में भागीदारी मानवत्व है। मूल्य, चरित्र, नैतिकता सहज अभिव्यक्ति, सम्प्रेषणा, प्रकाशन मानवत्व है।
- 14.5 मानवीयता पूर्ण आचरण यथा स्वधन, स्वनारी, स्वपुरुष, दयापूर्ण कार्य व्यवहार संबंधों में पहचान, मूल्यों का निर्वाह व मूल्यांकन, उभय तृप्ति, तन-मन-धन रूपी अर्थ का सदुपयोग व सुरक्षा मानवत्व है।
- 14.6 सहअस्तित्व :- व्यापक वस्तु में सम्पृक्त सम्पूर्ण एक-एक जड़, चैतन्य प्रकृति जो चार पद एवं चार अवस्था में हैं। इनमें से मानव, मानवीय चेतना पूर्ण विधि से प्रमाणित होना मानवत्व है।
- 14.7 अनुभव सहअस्तित्व में होने व रहने का प्रमाण मानवत्व है।
- 14.8 प्रमाण योजना के रूप में अखण्डता वर्तमान ही सार्वभौमता है। यह मानवत्व है।
- 14.9 होना ही वर्तमान रहना प्रमाण है। वर्तमान ही परंपरा, जागृति पूर्ण परंपरा ही मानवत्व है।