- 4) तृतीय चरण में श्रम मूल्य के आधार पर वस्तु मूल्य का मूल्यांकन होगा जिसका आधार उपयोगिता व कला मूल्य ही रहेगा व इसी के अनुसार लाभ-हानि-संग्रह मुक्त पद्धति से विनिमय प्रक्रिया संपन्न होगी। अर्थात् विनिमय प्रक्रिया श्रम मूल्य के आदान प्रदान के रूप में सम्पन्न होगी।
“न्याय सुरक्षा समिति" सुरक्षा कार्य को ग्राम वासियों के तन, मन, धन रूपी अर्थ के सदुपयोग सुरक्षा के आधार पर क्रियान्वयन करेगा।
जैसे :-
- 1) ग्राम में न्याय सुरक्षा
- 2) उत्पादन एवं विनिमय सुरक्षा
- 3) परिवार सुरक्षा
- 4) मानवीय शिक्षा-संस्कार सुरक्षा
- 5) स्वास्थ्य संयम सुरक्षा
- 6) नैसर्गिक सुरक्षा
- 7) संगीत, साहित्य, कला संस्कृति-सभ्यता की सुरक्षा
“न्याय सुरक्षा समिति” ग्राम की सभी प्रकार की सुरक्षाओं के प्रति जागरूक रहेगी।
ग्राम सुरक्षा :-
ग्राम सीमा में निहित भूमि का क्षेत्रफल और उस भू-भाग में निहित वन, खनिज, कृषि योग्य भूमि, बंजर भूमि, जल, जल-स्रोत, जल संरक्षण, भूमि संरक्षण, सामान्य सुविधा कार्य को सदुपयोग के आधार पर सुरक्षित करना ग्राम सुरक्षा का तात्पर्य है।
ग्राम से संबंधित वन क्षेत्र और उपयोगी भूमि और स्वामित्व की भूमि ग्राम सभा के अधिकार व कार्य क्षेत्र में रहेगी। यदि कोई वन क्षेत्र व भू-खण्ड किसी गाँव से सम्बद्ध न हो ऐसी स्थिति में उसको किसी न किसी गाँव से सम्बद्ध करने की व्यवस्था रहेगी। ऐसे ग्राम क्षेत्र की सुरक्षा का दायित्व भी “न्याय सुरक्षा समिति” का होगा।
उत्पादन और विनिमय सुरक्षा :-
- 1) उत्पादन सुरक्षा :- गाँव में जितने भी प्रकार के उत्पादन संबंधी मौलिकताएँ प्रमाणित होंगी उन सबके सुरक्षा का दायित्व न्याय सुरक्षा समिति, विनिमय कोष समिति का होगा। जैसे किसी उत्पादन कार्य में विशेष प्रकार की मौलिकता अथवा मौलिक प्रणाली अथवा मौलिक औजार, मौलिक विधि जो परंपरा में