और सभा अविभाज्य होना पाया जाता है। सभा में संवाद अवश्यंभावी है। जिसमें एक दूसरे की मानसिकता, प्रयोजन, फल, परिणाम का बोध होना पाया जाता है। फलस्वरूप हर निर्णय सर्वसम्मति के रूप में सार्थक होना पाया जाता है। सर्वसम्मतियाँ परिवार में ही हो पाती है। सभी मुद्दे समझदारी से शुरूआत होते हुए प्रमाणीकरण तक लम्बाई चौड़ाई होना पाया जाता है। मानवत्व सहज समझदारी का मूल रूप सहअस्तित्व है, प्रमाणीकरण का स्वरूप सहअस्तित्व है। इस प्रकार से प्रमाणीकरण और समझदारी की वस्तु एक ही हुई। इसी बीच सभी कड़ियाँ जुड़ी हुई है। इन सभी कड़ियों में सहअस्तित्व की खुशबू बहती ही रहती है। इसमें कोई अलग विशेष प्रयास का स्थान भी नहीं है। स्वभाव गति में सहअस्तित्व की धारा प्रमाण तक अर्थात् मानव द्वारा प्रमाण तक और मानव द्वारा किया गया प्रमाण अस्तित्व रूपी सहअस्तित्व तक जुड़ा ही रहता है। यही अनुभव की महिमा है। ऐसे अनुभव की निरन्तरता रहना स्वाभाविक है। इसलिए मानव परम्परा में अनुभवमूलक विधि, व्यवस्था, संस्कृति, सभ्यता, शिक्षा, उत्पादन, विनिमय, स्वास्थ्य-संयम इन सभी कार्यों में सहअस्तित्व का नजरिया स्पष्ट होता ही रहता है। यही मानव कुल का परम वैभव है। यही स्वराज्य और स्वतंत्रता की महिमा है। इस पहलू पर जो मुद्दा है स्वराज्य और स्वतंत्रता को प्रमाणित करना है या नहीं, यह संवाद का मुद्दा हो सकता है। इसे मानव कुल निरीक्षण परीक्षण करेगा ही।
मानव कुल अपना सम्पूर्ण वैभव को प्रमाणित करने के रूप में प्रथम सोपान परिवार ही है। परिवार में जो कमी रह जाती है वह कहीं भी आपूर्ति नहीं हो पाती। परिवार में ही हर मानव शुद्ध रूप में अथवा संपूर्ण रूप में पहचान के योग्य है। परिवारजन परस्परता में जितने अच्छे तरीके से पहचान पाते है, परिवार के बाहर अथवा किसी दूसरे परिवार के व्यक्ति को उसके सम्पूर्ण आयाम, कोण, दिशा, परिप्रेक्ष्यों के संदर्भ में ध्यान देना स्पष्ट होना जटिल हो ही जाता है। इसलिए हर मानव को अपने परिवार में जागृति का प्रमाण प्रस्तुत करना अभ्युदय का प्रमाण है। अभ्युदय का तात्पर्य भी सर्वतोमुखी समाधान से ही है। इस विधि से मानव इस बात पर अपने को विश्वास स्थली के रूप में पहचान सकता है कि परिवार में समझदारी से मानसिकता, मानसिकता से कार्य व्यवहार, कार्य व्यवहार से फल परिणाम, फल परिणाम से समाधान समृद्धि प्रमाणित होने के अर्थ में परस्पर निरीक्षण, परीक्षण, सर्वेक्षण करना प्रत्येक परिवार सदस्यों से बन पाता है। इस क्रम में मानव अपने वैभव के सम्पूर्ण स्वरूप को स्पष्ट किया ही रहता है। यही रहस्य मुक्त परिवार है। सकारात्मक पक्ष में समाधान समृद्धि पूर्ण परिवार है और अभय, सहअस्तित्व को प्रमाणित करने योग्य परिवार है। इसे जागृत मानव परिवार के सौभाग्य के रूप में पहचानना हर व्यक्ति द्वारा जो