इसी विफलता के आधार पर सार्वभौम व्यवस्था अखंड समाज बना नहीं है। यही संकट आज के लिए समस्त प्रकार की समस्या का कारण है। इसी भ्रमवश हर मानव भय, प्रलोभन और समस्याओं के लिए स्रोत बना हुआ है। इससे छूटने से ही मानव कुल का कल्याण है।
सर्वशुभ का स्वरूप हर मानव परिवार में प्रत्येक नर-नारी समझदारी से सम्पन्न होना एवं समाधान समृद्धि को प्रमाणित करना है। इस विधि से समृद्धि व्यवस्था का परिणाम है। व्यवस्था पूर्वक श्रम नियोजन, श्रम नियोजन पूर्वक उत्पादन, उत्पादन के आधार पर समृद्ध होना देखा गया है। इसी प्रकार से हर परिवार को प्रमाणित होना आवश्यक है। पहले मंजिल के रूप में हर परिवार ही अपने वैभव का प्रमाण है। इसका स्वरूप समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी, भागीदारी, समाधान समृद्धि है।
इस क्रम से जीने, समझने, प्रमाणित होने के संयुक्त स्वरूप को परिवारमूलक स्वराज्य व्यवस्था नाम दिया है। व्यवस्था का द्वितीय सोपान परिवार समूह सभा है। इसमें 10 परिवार से निर्वाचित एक एक सदस्य एकत्रित होगें। एक दूसरे की पहचान जागृत परिवार विधि से सम्पन्न रहती ही है। इनमें नर-नारी एक परिवार होते हैं। इनमें प्रतिबद्धता का स्वरूप यही रहेगा 10 परिवारों में संतुलन को बनाए रखना। 10 परिवार में संतुलन का मतलब 10 परिवारों की परस्परता में न्याय पूर्वक जीने की कला को उज्जवल बनाना। 10 परिवारों की परस्परता में पूरकता को बनाए रखना। ये दो प्रधान कार्य हैं। इसी क्रम में 10 परिवार में हस्त शिल्प, ग्राम शिल्प, कविता साहित्य, चित्रकला कृषि एवम कुटीर उद्योग में प्रोत्साहन बनाए रखना है। इनमें ऐसी कलाओं के निखरने के लिए उपायों को सोचना, संयोजित करना यह कार्यक्रम रहेगा। इस प्रकार 10 परिवारों का सौभाग्य का निखार हर दिन, महीना, वर्ष, श्रेष्ठता की ओर शोध होना स्वाभाविक रहेगा। यह दूसरे सोपान का वैभव हुआ। इस प्रकार के कार्य के फलन में दसों परिवारों का संयुक्त देन बनी रहेगी। इसमें दसों व्यक्ति कार्यरत रहेंगे सोचेंगे। हर आयुवर्ग के लिए परिवार सूत्रों से सूत्रित रहने का कार्यक्रम बनाए रखेंगे। अपने अपने परिवार में समृद्धि के प्रमाण रूप में समाजगति के दूसरे सोपान सौभाग्य में भागीदारी करेंगे।
दसों परिवार संस्कृति सभ्यता में एकरूपता को बनाए रखेंगे। कला और उत्पादन क्रियाओं के प्रोत्साहन से अपनी अपनी पहचान बनाए रखने में सतत स्वयंस्फूर्त विधि से सम्पन्न होते जायेंगे। इस स्वायत्ता को पहचानने के उपरान्त सम्मिलित व्यवस्था दस परिवार में समाधान, समृद्धि का अनुभव होना, प्रमाणित होना, गवाहित होना बन जाता है। यही परिवार समूह सभा का वैभव