क्रियाकलाप, मानसिकता, ज्ञान, विज्ञान, विवेक सम्पन्न समझदारी है। ऐसे समझदार जनप्रतिनिधि अब दस परिवार समूह सभा और कम से कम सौ परिवारों के सम्मिलित सौभाग्य को प्रमाणित करने के लिए निष्ठान्वित हो जाते हैं। इन सौ परिवार में संस्कृति सभ्यता की समानता को वैभव के रूप में मूल्यांकित करेंगे। जहाँ कहीं भी अर्थात् किसी परिवार अथवा परिवार समूह सभा में किसी श्रेष्ठता की आवश्यकता होने पर ग्राम समूह सभा के दसों प्रतिनिधि प्रेरक हो जाते हैं फलस्वरूप वांछित श्रेष्ठता उदय हो ही जाती है। इस प्रकार श्रेष्ठता और श्रेष्ठता का सम्मान प्रणाली अपने आप गतिशील हो जाती है। हर प्रतिनिधि मानवीयता पूर्ण आचरण में निष्ठान्वित रहेंगे। हर स्थिति में मानवीयता पूर्ण आचरण को प्रमाणित किये रहेंगे। यही प्रधान सूत्र है।
शिक्षा-संस्कार की मूल वस्तु अक्षर आरंभ से चलकर सहअस्तित्व दर्शन, जीवन ज्ञान सम्पन्न होने तक क्रमिक शिक्षा पद्धति रहेगी। हर गाँव में प्राथमिक शिक्षा का प्रावधान बना ही रहेगा। गाँव के हर नर-नारी समझदार होने के आधार पर स्वयंस्फूर्त विधि से प्राथमिक शिक्षा को सभी शिशुओं में अन्तस्थ करने का कार्य कोई भी कर पायेंगे। इस विधि से प्राथमिक शिक्षा के कार्य के लिए कोई अलग से वेतन या मानदेय की आवश्यकता नहीं रहती है। गाँव के हर नर-नारी शिक्षित करने का अधिकार सम्पन्न होगें।
दूसरे विधि से हर गाँव में प्राथमिक शिक्षा शाला के साथ हर अध्यापक के लिए एक निवास साथ में ग्राम शिल्प का एक कार्यशाला, हर अध्यापक के लिए 5-5 एकड़ की जमीन और 5-5 गाय की व्यवस्था रहेगी यह पूरे गाँव के संयोजन से सम्पन्न होगा। यह शाला, अभिभावक विद्याशाला के रूप में कार्यरत रहेगी। इस दोनों विधि से शिक्षा संस्कार कार्य को पूरे गाँव में उज्जवल बनाने का कार्यक्रम सम्पन्न होगा। मानवीय शिक्षा मध्यस्थ दर्शन सहअस्तित्ववाद पर आधारित रहेगी। शिक्षा सहअस्तित्व दर्शन, जीवन ज्ञान के रूप में प्रतिपादित होगी। इस प्रकार हम एक अच्छी स्थिति को पायेंगे। जिससे सहअस्तित्ववादी मानसिकता बचपन से ही स्थापित होने की व्यवस्था रहेगी।
व्यवस्था की दूसरी कड़ी में सुरक्षा कार्य सम्पन्न होंगे। इसमें ग्राम परिवार सभा के लिए निर्वाचित दसों सदस्य सुस्पष्ट ज्ञान सम्पन्न, विवेचना, विश्लेषण में पारंगत रहेंगे। हर परिवार समझदार परिवार होने के आधार पर गलती और अपराध की कोई संभावना नहीं रहती। फिर भी ऐसी कोई प्रवृत्ति उदय होने से घटना तक पहुँचने के पहले सुधार होने की व्यवस्था रहेगी। ऐसी व्यवस्था का प्रभावशीलन परिवार से ही आरम्भ होकर परिवार समूह, ग्राम परिवार सभा में कार्यरत