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अनुसंधान उज्जवल स्पष्ट और चिन्हित रूप में पहचानने में नहीं आया। यही कारण रहा सभी जाति, मत, पंथ, सम्प्रदायों की संकीर्णता से उबरने के लिए मानवीयता को पहचानने की आवश्यकता बलवती हुई।

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