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तप में जो कुछ स्वीकृतियाँ विभिन्न समुदायों में बनी है वे सब अपने-अपने में एक बेहतरीन ढाँचा-खाँचा है। जो सामान्य जन के लिए कठिन है। ऐसे स्वरूप को बनाए रखना ही तप का फल माना गया। उसके साथ अपने ढंग की सम्भाषण की शैली, स्वर्ग में सुख मिलने का उपदेश, फलस्वरूप सम्मान पात्र बनने वाले भी बढ़ते रहे सम्मान करने वाले भी बढ़ते रहे। सिलसिला अभी भी जोर शोर से देखा जा रहा है। कुल मिलाकर आदर्श पूर्ण व्यक्तित्व अपने आप में सामान्य लोगों के लिए कठिन सा लगने लगा। सबके लिए सुलभ न लगना, जिनके सान्निध्य से सेवा से पुण्य मिलने का आश्वासन होना, मनोकामना पूरी होने का आश्वासन होना इसी चौखट को हम आदर्श कहते है। आदर्श का सम्मान सुदूर विगत से होते आया है, आज भी होता है। इसमें विचारणीय मुद्दा है आदर्शों का प्रयोजन फल लोकव्यापीकरण न होना, उपकार कैसे होगा, उपकार विधि का लोकव्यापीकरण मुद्दा होना है कि नहीं इस पर जनचर्चा की आवश्यकता बनी हुई है।

मानव सुदूर विगत से ही ज्ञान की बातें या सूचनाएँ सुनकर ज्ञान सम्पन्न होने की इच्छा करता रहा। विज्ञान की सूचना सुनकर, विज्ञान सम्पन्न होने की इच्छा हर मानव में पायी जाती है। विवेक सम्पन्न होने की इच्छा भी हर मानव के मन में स्थान बनाकर रह गयी। इसमें आश्वासन देने वाली विधि से विज्ञान सर्वाधिक यांत्रिकता के अर्थ में जितना भी लोक सम्मत हुआ है उसमे सर्वाधिक आस्था निर्मित हुई। इसके बावजूद जब यंत्र बनने की बात आई, वह थोड़े लोगों के हाथ में सिमट गई। यंत्र सबको मिल सकता है यंत्र सब बना नहीं सकते, इस कक्ष में पहुँच गये। इसमें उल्लेखनीय मुद्दा यही है हर नर-नारी को रोजमर्रा की यंत्र निर्माण विधा में पारंगत होना है या नहीं होना है। इस मुद्दे पर लोक चर्चा की आवश्यकता है।

तर्क संगत विधि से मानवीय व्यवस्था को हम सोच पाते है हर व्यक्ति को ज्ञान सम्पन्न होने की आवश्यकता है, ज्ञान ही समझ है। समझ ही विज्ञान और विवेक के रूप में योजित होता है प्रयोजित होने के क्रम में प्रक्रिया प्रणाली की विधि में तकनीकी को प्राप्त करना होता है। इस विधि से हम इस स्थिति में आते हैं कि समझदारी के उपरान्त जहाँ जैसी तकनीकी की आवश्यकता है वहाँ उसे सुलभ करने का उपक्रम परिवार मूलक स्वराज्य व्यवस्था में लोकव्यापीकरण होता है।

जिस गाँव मोहल्ले में जितनी भी उत्पादन की आवश्यकता रहती है उसकी आवश्यकीय सभी मानवीय शिक्षा-संस्कार के साथ तकनीकी प्रशिक्षण ग्राम सभा में, ग्राम समूह सभा अथवा क्षेत्र

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