4. सत्ता में संपृक्त जड़-चैतन्य प्रकृति में से चैतन्य प्रकृति गठनर्पूण परमाणु है। जिसका परिणाम के अमरत्व सहित, जीवन पद में संक्रमित रहना पाया जाता है।
वक्तव्य :-
1) अध्ययन करने की संपूर्ण वस्तु सहअस्तित्व ही है।
2) अध्ययन करने वाली वस्तु मानव है।
3) प्रत्येक मानव जड़-चैतन्य प्रकृति के संयुक्त साकार रूप में है। चैतन्य प्रकृति का नाम जीवन है। जड़ प्रकृति का नाम शरीर है।
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