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इसे ‘ज्योति’ शब्द से भी जाना जाता है । ब्रह्मानुभूति में प्रकाश का अभाव नहीं है, बल्कि शाश्वत प्रकाश में अनुभव है । व्यापक में अनुभव ही शाश्वत प्रकाश है क्योंकि सहअस्तित्व स्पष्ट हो जाता है ।

इसलिए ‘यह’ अनुभूति मूलक सत्यापन केवल सार्वभौम लक्ष्य एवं कार्यक्रम की ओर इंगित है ।

आप्तता ही प्रमाण सहित उपदेश (उपाय सहित आदेश) का कारण है ।

जीवनमुक्त (भ्रममुक्ति) में आप्तता का अभाव नहीं है ।

“नित्यम् यातु शुभोदयम्”

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