रहता है ही। उनके लिए ग्राम सभा जो कुछ भी प्रस्तावित करेगी स्वीकृत होती रहेगी। ग्राम सभा अपने में निष्ठा बनाए रखेगी। बाजार में जो चीज जितने पैसे का मिलता है उतने पैसे में यदि गाँव में तैयार होता है तो गाँव में तैयार करने का निर्णय लेगी। क्योंकि गाँव में एक व्यक्ति के समुचित उत्पादन का प्रावधान हो जाता है। इसी विधि से आहार, आवास, अलंकार संबंधी वस्तुओं के प्रति नजरिया रहेगी। इसके अनन्तर सम्पूर्ण महत्वाकांक्षी वस्तुएँ जैसे दूरदर्शन, दूरगमन, दूरश्रवण संबंधी वस्तुओं को सहज संभालने के लिए सम्पूर्ण कर्माभ्यास करने की व्यवस्था रहेगी। इसके अनन्तर इनसे किसी वस्तु को निर्मित करने की सम्भावना गाँव की परिस्थिति में होने के आधार पर उन-उन वस्तुओं को निर्मित करने का कार्यक्रम गाँव में सम्पन्न होगा। कृषि में बीज स्वायत्ता, उर्वरक स्वायत्तता, कीटनाशक औषधियों की स्वायत्तता, पानी की स्वायत्तता बनी रहेगी। पानी की स्वायत्तता क्रम में अति आधुनिक विधि से हम जो पाताली जल स्त्रोत उपयोग करने में सफल हो गये है, इसकी पूरकता की विधियों को सोचना आवश्यक है। अभी तक चली संग्रह सुविधावादी विधि से इस ओर ध्यान नहीं गया अथवा कारगर विधि से ध्यान नहीं गया। अब समझदार ग्राम स्वराज्य व्यवस्था का इस ओर ध्यान देना स्वाभाविक है। अस्तु पाताली जल स्त्रोत जितना हम उपयोग करते है कम से कम तीन गुना, ज्यादा से ज्यादा चार गुना वर्षाकालीन पानी को संग्रह कर रखने की व्यवस्था हर कृषक अपनी जमीन में बनाए रखेगा। जिसमें से कुछ भाग उड़ जाता है, कुछ भाग जमीन पी जाती है जो पाताल जल स्रोत बन जाती है जिससे पाताल जल तादाद बने रहने का सूत्रपात हो सके। जिससे धरती की सतह पर जो वन, वनस्पति शेष है वे सुरक्षित रह सके। क्योंकि पाताल जल स्त्रोत जितना नीचे चला जायेगा धरती की सतह का जल और जल स्रोत सूखने की संभावना रहेगी। वर्तमान में सर्वाधिक नदी, नाले, तालाब, सरोवर सूखा हुआ देखने को मिलता है। सतह में वन, वनस्पति और औषधि, वनोपज प्रचुर मात्रा में होने के लिए धरती की सतह के ऊपर पानी सर्वाधिक रहना आवश्यक है। तभी नदी नाला किनारा, कुआँ, तालाब, सरोवर ये सब भी पानी से भरपूर दिखाई पड़ेंगे। जैसे ऋतु संतुलन और धरती के संतुलन की स्थिति में रहे आये हैं।
इस क्रम में हम अच्छी तरह से कृषि उत्पादन के साथ इमारती एवं जलाऊ लकड़ी का भी अपने खेतों में उपज लेना सहज है। हर समझदार कृषक को भूमि के सदुपयोग को अपनी पूरकता विधि से पहचानना बन जाता है। अतएव उत्पादन कार्य के सभी आयामों की संभावनाओं के आधार पर तकनीकी कर्म अभ्यास गाँव में स्थापित करने का अधिकार ग्राम सभा में बना रहेगा। कृषि के चारों स्वायत्तता के पक्ष हर ग्राम सभा सुलभ सार्थक बनाने का कार्य करेगी।