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निष्णात व्यक्तिगण सुधार के दायी रहेंगे। जो अनुचित है, अनावश्यक है अथवा गलती अपराध है ऐसी मानसिकता को पहचानने का दायित्व सर्वप्रथम परिवार में उसके अनन्तर परिवार समूह सभा में और ग्राम परिवार में रहेगी। ग्राम के सम्पूर्ण सौ परिवार दायी रहेंगे। जैसे ही ऐसी मानसिकता देखने मिले तुरन्त सुधारने का कार्य करेंगे। और पूरा गाँव के सौ परिवारों का मूल्यांकन, वर्ष में एक बार अथवा छ: महीने में एक बार, आवश्यकता पड़ने से महीने में एक बार होना स्वाभाविक रहेगी। इसकी सुगमता हर दस परिवार के प्रतिनिधि करेंगे। हर परिवार अपना मूल्यांकन स्वयं करेगा। इन दोनों आधार पर ग्राम सभा अपना ध्यान देकर मूल्यांकन की घोषणा करेगा। इनमें से कोई भी परिवार में श्रेष्ठता की आवश्यकता होने पर अथवा परिवार समूह में श्रेष्ठता की आवश्यकता होने पर ग्राम सभा उसकी भरपाई करने का कार्य करेंगे। मूल्यांकन का ध्रुव बिन्दु समाधान, समृद्धि सम्पन्नता होगा। तीसरा बिन्दु उपकार कार्य में प्रवर्तन समाज गति के रूप में मूल्यांकित होगी।

व्यवस्था की तीसरी कड़ी उत्पादन कार्य है। इन उत्पादन कार्यों में कृषि, पशु पालन, ग्राम शिल्प, हस्त कला की प्रधान रूप में पहचान रहेगी। इसी के साथ ग्राम उद्योग की संभावना रहेगी। ग्रामोद्योग में ऊर्जा संतुलन कार्य रहेगा। यह स्थानीय परिस्थिति के साथ ग्राम सभा निर्णय करेगी। उत्पादन कार्यों की जितनी भी श्रेष्ठतम क्रिया प्रक्रिया तकनीकी होगी वह सभी परिवार में समावेश रहेगी। साथ में यह भी प्रावधान रहेगा कि किसी एक परिवार में स्वयंस्फूर्त श्रेष्ठता होने की स्थिति में समूचे 100 परिवार में सुलभ कराने की व्यवस्था ग्राम सभा में निहित रहेगी। हर परिवार अपने में आगे का कोई श्रेष्ठ कार्य करने में सफल होता है उसे तत्काल ग्राम सभा के आवगाहन में लाने की स्वतंत्रता रहेगी।

गोबर गैस, सूर्य ऊर्जा, वायुतरंग और कचरा गैस इन सब से ईधन और प्रकाश की व्यवस्था और तकनीकी सहज सुलभ रहेगी। ग्राम सभा के जन प्रतिनिधि इस बात को तय करेंगे गृह उद्योग, ग्राम शिल्प, स्थानीय सम्पदा के आधार पर क्या-क्या उद्योग हो सकते है इसकी सूची बनेगी। इसके लिए समुचित तकनीकी सुलभ कराने की व्यवस्था करेंगे। हर समझदार परिवार श्रेष्ठता और गतिशीलता के साथ जुटा रहेगा। इसलिये हर श्रेष्ठता, गतिशीलता के स्त्रोत ग्राह्य रहना स्वाभाविक रहेगा। आरम्भिक चरण में हर परिवार को समझदार बनाना प्रधान कार्य रहेगा। गाँव के हर व्यक्ति के लिए न्याय सुलभ होने में भरोसा न्याय पूर्वक जीने में विश्वास बना रहना ही ग्राम स्वराज्य सफल होने का बिन्दु है। इसी आधार पर हर परिवार में उत्पादन कार्य स्वीकृत

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