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व्यवस्था की चौथी कड़ी हर परिवार में उत्पादन का एक कोष रहेगा। परिवार के उपयोग से अधिक जितने भी उत्पादन रहेंगे उनका विनिमय अड़ोस-पड़ोस में अर्थात् ग्राम समूह और ग्रामों में कर लेगी। इससे सामाग्री लाने और ले जाने की प्रक्रिया में काफी बचत हो जायेगी। जिससे ईंधन से लेकर श्रम तक, श्रम से लेकर यंत्रों तक बचत का प्रावधान है। इसे अच्छी तरह से समझदार परिवार का हर सदस्य समझ सकता है। परिवार की आवश्यकता से अधिक उत्पादन जितना भी रहेगा, वे सभी उत्पादनों को एक सम्मिलित कोष में एकत्रित किया जायेगा। यह कोष मूलत: वस्तुओं का ही कोष है। इसके साथ श्रम मूल्य का मूल्याँकन रहेगा। उसी के बराबर में हर गाँव में कोषालयों के खाते में श्रम मूल्य के साथ प्रतीक मुद्रा का संख्या भी लिखकर रखी जायेगी। उसी के साथ हर परिवार को उसी ग्राम कोष से क्या-क्या वस्तुएँ समीचीन दिनों के लिए आवश्यक है वह सूची रहेगी। उसी कोष से अपेक्षित वस्तुओं को प्राप्त किया जायेगा। ग्राम विनिमय कोष से वस्तुएँ किसी दूसरे ग्राम कोष में जायेगी और दूसरी वाँछित वस्तुओें को लायेगी। तभी तक समीपस्थ बाजार में विक्रय कर आवश्यक वस्तुओं को क्रमवार लाने की व्यवस्था रहेगी। लाभ हानि मुक्त विधि से वस्तुओं को ग्राम के सभी व्यक्तियों को उपलब्ध कराने की व्यवस्था रहेगी। इसी विनिमय कोष के कार्यक्रम में सभी प्रकार की आहार संबंधी वस्तुएँ यथा सब्जी, दूध, अनाज वगैरह तो रहेगी ही; कलात्मक जितनी भी उपज है, कृषि औजार, भारवाहन का औजार, गृहनिर्माण में उपयोगी वस्तुएँ, अलंकार संबंधी सभी उपज को कोषालय में एकत्रित किया जायेगा। कोषालय से बाजार में दूसरा स्वराज्य कोषालय में ले जाने की, ले आने की व्यवस्था ग्राम स्वराज्य सभा में रहेगी।

व्यवस्था की पाँचवी कड़ी स्वास्थ्य-संयम का मतलब मानसिक रूप में संतुलित रहने का तौर तरीका, इसका ध्रुव बिन्दु स्वस्थ मानसिकता को सटीक प्रमाणित करने के रूप में पहचाना जाता है। जहाँ कहीं भी असंतुलन दिखने पर उसको संतुलित करने की व्यवस्था रहेगी। इसमें वन औषधियों का, घरेलू औषधियों का और बनी हुई औषधियों का उपयोग करना रहेगा। साथ में स्थानीय रूप में मिलने वाली औषधियों को निर्माण करने की व्यवस्था रहेगी। व्यायाम, आसन, प्राणायाम, खेल के रूप में सभी का स्वास्थ्य संतुलन की संभावना प्रावधानित रहेगा। उक्त प्रकार के पाँच कड़ियों के संचालन के लिए आवश्यक तंत्र के रूप में पाँच समितियों को मनोनीत किया जायेगा। यह अधिकार ग्राम सभा में निहित रहेगा। अब रहा समितियों में संख्या का प्रश्न, यह स्थानीय सभा के विचाराधीन रहेगा। मनोनीत सदस्य स्वायत्त परिवार के हो सकते हैं। उपकार

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