स्वास्थ्य केन्द्र को सम्पन्न बनाए रखने का कार्य केन्द्र करेगा। इस प्रकार स्वास्थ्य केन्द्र के लिए साधन भरपूर रहेगा।
पाँचवे सोपान में दस ग्राम समूह सभा से निर्वाचित दस सदस्य क्षेत्र परिवार सभा के रूप में पहचाने जायेंगे। इसमें अनुभव की और भी मजबूती बनी रहेगी। समझदारी में परिपक्व होना स्वाभाविक है भागीदारी में गति और तीव्र होती जायेगी। इन ही सब सौभाग्य को एकत्रित होना क्षेत्र परिवार सभा अपने वैभव को प्रमाणित करने में समर्थ होगी।
बुनियादी तौर पर हर परिवार समझदार होने के आधार पर ही क्षेत्र परिवार सभा का वैभव भी प्रमाणित होने की संभावना बनी रहती है। हर मानव का उद्देश्य साम्य होने के आधार पर व्यवस्था सूत्र व्याख्या अपने आप स्पष्ट होती है। इसकी भी प्रथम कड़ी शिक्षा संस्कार कार्यक्रम है। इन शिक्षा संस्कार कार्यों में यथावत एक विद्यालय रहेगा। इसके पहले की सीढ़ी में जो प्रौद्योगिकी बनी रहती है उसके योगदान पर उत्तर माध्यमिक शालाएँ और स्नातक शालाएँ क्रम विधि से कार्य करेगी। क्रम विधि का तात्पर्य हर इन्सान चाहे नारी हो, नर हो समझदार होने के लिए कार्य करेगा। समझदारी का किसी उँचाई इस क्षेत्र परिवार सभा के अंतर्गत प्रमाणित होना स्वाभाविक है। ऐसे प्रमाण के लिए तमाम व्यक्ति प्रशिक्षित रहेगें। इसी कारणवश स्नातक पूर्व और स्नातक विद्यालय किसी क्षेत्र सभा के अंतर्गत संचालित रहेगें। जिसमें मध्यस्थ दर्शन सहअस्तित्ववाद की रोशनी में ज्ञान, विज्ञान, विवेक सम्पन्न विधि से हर विद्यार्थी की मानसिकता में स्थापित करने का कार्य होगा। इसी क्रम में हर सभा के अधिकार में कुछ मझोले, बड़े प्रौद्योगिकी समायी रहेगी। इसके लिए बुनियादी रूप में आवश्यकीय सभी साधन क्षेत्र सभाओं के प्रौद्योगिकी सम्पदा से निर्मित किये रहेंगे। इस विधि से हर क्षेत्र परिवार सभा में मझोले और छोटे उद्योगों का उत्पादन प्रचुर होने की व्यवस्था रहेगी। प्रधानत: ये उद्योग आवास, अलंकार, दूरश्रवण, दूरदर्शन, दूरगमन संबंधी यंत्रों को बनाने के कार्य में प्रवृत्त होगा। इसी सोपान में एक विनिमय कोष रहेगा जिसका संबंध इसके पहले के चारों सोपानो के विनिमय कोष से रहेगा।
पाँचवी कड़ी के रूप में स्वास्थ्य संयम होना पाया जाता है। इस क्रम में विविध प्रकार के व्यायामों की व्यवस्था रहेगी, साथ में एक बहुत अच्छा चिकित्सा केन्द्र बना रहेगा। जिसमें आकास्मिक घटनाग्रस्त, दुर्घटना ग्रस्त और असाध्य रोगों को शमन करने की व्यवस्था रहेगी। यह प्रौद्योगिकी के बलबूते पर सम्पन्न होगी। इसमें कार्यरत जितने भी विद्वान होंगे ये सब स्वयंस्फूर्त विधि से सेवा उपकार के रूप में चिकित्सा कार्य को सम्पन्न करेंगे। यह परिवार वैभव का अनुपम देन रहेगा।