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ये सब शनै: शनै: गतिशील सोच-विचार का परिणाम होता रहेगा। ऐसी संभावना के चलते अन्ततोगत्वा जागृति पूर्ण विधि को तलाशना होता है।

जागृति पूर्ण विधि को तलाशने के उपरान्त सदा-सदा से बनी हुई इतिहास जुड़ी हुई मिलती है और जागृति के उपरान्त व्यवस्था का सूझबूझ होना मानव कुल की ही प्रतिष्ठा है। मानसिकता के आधार पर जागृति को विकसित करने वाला, पहचानने, जानने, मानने, प्रमाणित करने वाला एक मात्र मानव ही है।

हर जलवायु में विभिन्न प्रकार के आदमी होते है अर्थात् मानव शरीर का रचना विभिन्न नस्ल, रंग, रूप का होता है। यह बात इसी धरती पर गवाहित हो चुकी है। इसी प्रकार अन्य धरती पर भी हो सकती है। जागृति की महिमा सार्वभौम व्यवस्था अखंड समाज का प्रमाण किसी अन्य धरती अथवा अनंत धरती में भी मानव का उदय हो चुका हो, उन सबका स्वरूप एक ही हो जाता है यानि मानसिक स्वरूप, क्यों कि उद्देश्य एक ही बनता है। दृष्टा कर्ता भोक्ता पद निश्चित हो जाता है। इन तथ्यों से हमें विदित होता है हम मानव लक्ष्य सम्पन्न विधि से जीने के लिए जागृति एक मात्र सहारा है। मानव जागृति सहित सहअस्तित्व रूप में नित्य वर्तमान है ही। वर्तमानता सदा-सदा के लिए नित्य है। इस विधि से हम सर्वशुभ कल्पना, परिकल्पना और प्रमाण तक की स्थिति में आते है कि परिवार मूलक स्वराज्य विधि से विश्व मानव परिवार सभा को अभी तक वैभवित न होते हुए, वैभवित होने की संभावना मानव मन तक पहुँचता है। सम्भावना तक स्वीकृति होती है। आगे मानव की चाहत बलवती होने की स्थिति में व्यवहार में वर्तमान हो सकता है यही आवश्यकता हर मानव में विद्यमान है।

चौथी कड़ी विनिमय कोष है। विश्व राज्य परिवार सभा में विनिमय के लिए कोई खास वस्तुएँ नहीं रह जाते है। आवश्यकता महसूस होने की स्थिति में विश्व मानव के लिए उपयोगी वस्तु को प्रस्तुत करेगा। इसकी सम्भावना दूरगमन, दूरदर्शन, दूरश्रवण संबंधी वस्तुओं में परिष्कृति और गति हो सकती है। विश्व मानव परिवार सभा की गरिमा के अनुसार ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा संतुलन संबंधी औजारों के ऊपर ध्यान देने की आवश्यकता है। विद्युत ऊर्जा, विकिरणीय ऊर्जा यह दो प्रकार की ऊर्जाएँ अति महत्वपूर्ण है इनमें से विकिरणीय ऊर्जा पर संतुलन का नजरिया विश्व मानव परिवार सभा में सुस्पष्ट रहने की आवश्यकता है। इसको कारगर बनाए रखना अर्थात् सर्वसुलभ करने योग्य ज्ञान, विवेक, विज्ञान कर्माभ्यास सम्पन्नता को बनाए रखना है किसी भी सोपानीय आवश्यकता पड़ने पर शिक्षा शिक्षण की कर्माभ्यास की व्यवस्था को बनाए रखेंगे।

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