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यही विनिमय का प्रधान स्वरूप रहेगा। यह विश्व मानव परिवार सभा का महिमा मंडित स्थितियों के लिए अनुकूल है।

पांचवी कड़ी स्वास्थ्य संयम ही होता है। इस अंतिम सोपान में सर्वोत्कृष्ट स्वास्थ्य संयम में स्वायत्त रहने के लिए सर्वोत्कृष्ट विधियों को शोध पूर्वक कर्माभ्यास किए रहना आवश्यक है महिमा अनुसार अपेक्षा भी मानव कुल में होना स्वाभाविक है। इस आधार पर ऐसी स्थिति में जो अनुसंधान होगा विश्व मानव के लिए उपकार में रहेगा। इस प्रकार विश्व मानव परिवार सभा में सर्वोत्कृष्ट स्वास्थ्य का नजीर बना ही रहेगा यह लोकव्यापीकरण होने की व्यवस्था बनी रहेगी।

उक्त प्रकार से दश सोपानीय पाँच-पाँच कड़ियों पर सुसंगठित रहना सामान्य नजरिया से समझ में आता है। इस सुसंगठन का तालमेल दूरसंचार विधि से एक दूसरे कड़ियों के साथ अनुप्राणित प्रतिप्राणित रहेगा। अनुप्राणित का तात्पर्य अनुक्रम से प्रेरणाएँ सूचनाएँ पहुँच पाना, सत्यताएँ सूचित हो पाना। प्रतिप्राणित का तात्पर्य प्राप्त सूचना के अनुसार अपेक्षित परिणामों से अवगत होना। ऐसी अनुप्राणित प्रतिप्राणित क्रियाएँ ग्राम परिवार राज्य सभा से विश्व परिवार सभा तक, विश्व परिवार सभा से ग्राम मोहल्ला परिवार सभा तक वर्तने की व्यवस्था बनी रहेगी।

इस विधि से हम मानव सामुदायिक मानसिकता से ओढ़े हुए सारी अपराधिक प्रवृत्तियों से मुक्त हो सकते हैं। सामुदायिक चेतना विधि से ही द्रोह-विद्रोह शोषण युक्त प्रचलन जैसे अभिशाप, प्रदूषण जैसे अभिशाप इन दोनों से उबर सकते हैं। फलस्वरूप मिलावट जैसे अभिशाप, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार जैसे अभिशापों से मुक्त हो पाते हैं। संग्रह-सुविधा-भोग-अतिभोग की मानसिकता से परिवर्तित होकर जागृत होकर समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व उपयोग, सदुपयोग, प्रयोजनशील होने के प्रमाणों को मानवकुल प्रमाणित कर सकता है। यही शांति पूर्ण, समाधान पूर्ण जिन्दगी का प्रमाण है।

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