आवश्यकता उत्पन्न हो गई। इस विधा में बिना पैसे खर्च किए जनमत सहित जन प्रतिनिधि को पाने का चर्चा निष्कर्ष आवश्यक है।
गणतंत्र प्रणाली इस धरती पर जिस दिन, मुहूर्त से आरंभ हुई, उसके पहले जो अच्छे लोग और विद्वान कहलाते थे योगी, यति, सती, संत, तपस्वी, भक्त कहलाते थे, इन्हीं को सर्वाधिक लोग अच्छा मानते भी रहे। इनकी गवाहियाँ सम्मान प्रदर्शित करने के तौर-तरीके के रूप में गवाहित होते आयी। ऐसे अच्छे लोग अभी भी सम्मानित होते ही है। इन घटनाओं के घटित होते हुए भी गणतंत्र प्रणाली के किसी संविधान में किसी अच्छे चरित्र की स्पष्ट, सूत्र व्याख्या व अध्ययन नहीं हुआ। गणतंत्र प्रणाली में सब का मताधिकार, उम्मीदवारी का अधिकार समान स्वीकारा गया। कुछ देशों में अस्थाई रूप में आरक्षण विधियों को भी अपनाया। देश-देश में विद्यमान सभी समुदायों की पहचान व उनका उल्लेख संविधानों में होता आया। यह सब सकारात्मक प्रवृत्तियाँ होते हुए राजतंत्र से गणतंत्र बेहतरीन होने के उम्मीदों के आधार पर जनप्रतिनिधि अपने सभी विधियों को त्रिस्तरीय सभा बना लिया। उनमें हुई संवाद अभी तक अध्ययन में अथवा जन संवाद में चर्चा में नहीं आ पाते। जब कभी सुनने में आता है कि उस पार्टी वाला सत्तारूढ़ हुआ बाकी सब हार गये। इससे पता लगता है ये जनप्रतिनिधि सभाओं में पहुँच कर अपने निष्कर्षों तरीकों को प्रस्तुत नहीं कर पाते हैं। प्रस्तुत करते भी है तो वह चिन्हित रूप में जनमानस तक पहुँच नहीं पाता है। यही अभी तक देखी सुनी हुई घटना है। यह भी देखने को मिला है प्राचीन काल में जो राजनैतिक इतिहास और घटनाओं के उल्लेख के आधार पर कूटनीतिक (छल, कपट, दंभ, पाखंड) प्रचलन थे। वही कूटनीति एक बार जनप्रतिनिधि होने अथवा दूसरी बार जनप्रतिनिधि होने के उपरान्त मानसिकता में स्थापित होते हुए देखने को मिल रही है। गणतंत्र प्रणाली की मूल उद्देश्य न्याय सम्मत निष्कर्ष की रही – उसका अता-पता अभी तक किसी देश धरती में देखने को नहीं मिला। इस विधि से सर्वाधिक निषेधात्मक चर्चा ही आज कल जनमानस में बनी है। चर्चा में भागीदारी किया हुआ व्यक्ति स्वयं असंतुष्ट रहता है। परिणामत: संघर्ष के लिए तैयारियाँ हो जाती है। इस विधि से संघर्षात्मक जनवाद प्रचलित हुआ।
तकनीकी विद्या भी संग्रह सुविधा के चक्कर में आकर बहुत सारी गलती और अपराध के लिए आधार बन चुकी है। शोषण, तकनीकी विद्या के साथ जुड़ा ही है इसमें नैसर्गिक और मानव दोनों समाहित है, संकटग्रस्त हैं।