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सामाजिक होने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। मानव अपने लक्ष्य को पहचानने की विधि और उसके सार्थक बनाने की सम्पूर्ण विधियों को प्रस्तावित किया है। इससे हम अच्छी तरह से लक्ष्य

तक पहुँच ही सकते है। जो छ: प्रकार की महिमा मानव को लक्ष्य तक पहुँचने का मार्ग प्रशस्त करता है। आगे जितने भी प्रदर्शन माध्यमों से मानव कुल के हित में प्रस्तुत होता है उसका आधार मानव महिमा ही होना आवश्यक है।

मानव महिमा को जितना ज्यादा हम चित्रित कर पायेंगे कला और साहित्य का अपने आप में लक्ष्य तक पहुँचने की विधि को स्पष्ट करना पाया जाता है। अतएव जनचर्चा में इस बात की एक अच्छी विचारणा आवश्यक है। कामोन्माद, भोगोन्माद के लिए चर्चा को अर्पित किया जाये या समाधान, समृद्धि के लिए अर्पित किया जाये। इस तर्क विधि से समाधान समृद्धि के लिए तर्क विधि सार्थक होना स्पष्ट हो जाता है।

मानव महिमा के छ: प्रकार सहज स्वरूपों को स्पष्ट किया है। यह हर मानव को स्वीकार होता ही है। इसे हमें जीने की विधि तक, प्रमाणित होने तक एक सुगम संगीत, साहित्य, कला, शिल्प, संगीत, कविता प्रसंगों में अच्छी तरह से प्रस्तुत करने की आवश्यकता है। यह अभिव्यक्ति अर्थात् व्यवहारात्मक जनवाद में किया गया अभिव्यक्ति सभी सकारात्मक मुद्दों की ओर ध्यान आकर्षण कराने का प्रयास है। सकारात्मकता सहज रूप में मानव को स्वीकार होता ही है। उसके साथ लक्ष्य, लक्ष्य के साथ दिशा, दिशा में गति पाने का कार्यक्रम शेष रह जाता है इसे मध्यस्थ दर्शन सहअस्तित्ववाद स्पष्ट करने का प्रयास किया है। इसे हर नर-नारी पूरा अध्ययन कर जाँच सकते है। अभी प्रस्तुत मुद्दा विनोद के अर्थ में सम्पूर्ण साहित्य और कला को प्रस्तुत करने की कोशिश हुई है। इसके स्थान पर सार्थक विधि को अपनाना अति आवश्यक है।

विनोद अपने स्वरूप में विनयपूर्वक स्वीकृति विधि से प्रसन्नता पूर्वक की गयी प्रस्तुतियाँ हैं। मानव के प्रसन्न मुद्रा, भंगिमा अथवा अंगहार सहित प्रस्तुत होने पर जितने भी देखने वाले होते हैं उनमें भी प्रसन्नता की उमंग आती है। यही विनोद की सार्थकता है। ऐसे सार्थक विनोद की ओर ध्यानाकर्षण होने से मानव अपने आप में सुन्दर विधि से वांछित सार्थक संप्रेषित करने के लिए शक्तिशाली कार्यक्रम है। इस ढंग से जागृति विधि से सार्थकता की ओर ध्यानाकर्षण कराना विनोद का तात्पर्य है और स्वास्थ्य संवर्धन के लिए क्रीड़ा समुच्चय को पहचानना आवश्यक है इस पर सुन्दर संवाद की आवश्यकता है ही।

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