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जनचर्चा में अभय समाधान की पुष्टि और इसकी आवश्यकता :

भय मुक्ति की अभिलाषा मानव कुल में सदा-सदा से रहा है। इसे ऐसे परीक्षण किया जा सकता है हर आयु वर्ग का आदमी भय नहीं स्वीकारता है चाहे शिशु हो, चाहे कौमार्य हो, चाहे नर हो, चाहे नारी हो, सबको भय मुक्ति चाहिये। यह भी साथ में देखा गया कि दूसरे को सब भयभीत कराते भी है। इस विधि से मानव कुछ असमंजस सा दिखाई पड़ता है। असमंजसता का मतलब यही है स्वयं चाहता न हो, दूसरे के लिए तैयार कर प्रस्तुत कर देता है जैसे सामरिक तंत्र और द्रव्य। कोई देश अपने देश के सुरक्षा कर्मियों पर इसका प्रयोग नहीं चाहता पर इसे तैयार करके दूसरे को बेच देते है यही असमंजसता है। इसी प्रकार से कोई सज्जन मिलावट का चीज खाना नहीं चाहते किन्तु मिलावट कर बेच देते हैं। असमंजसता यही है। प्रदूषण को कोई मानव झेल नहीं पाता है, किन्तु प्रदूषण पैदा कर देता है। इसी क्रम में मानव औरों से अपशब्दों का प्रयोग कर देता है ये सब असमंजसता की गिनती में आते हैं। मानव अपने आप में शान्त, निश्चित, अभयशील रहना ही चाहता है।

भय, प्रलोभन का दूसरा पहलू है। प्रलोभन को मानव स्वीकार लेता है। भय को नहीं चाहता है। इसी क्रम में मर्यादा भंग होना पाया जाता है। फलस्वरूप मानव की परस्परता में विरोधाभास तैयार हो जाता है ऐसा विरोधाभास गहराने से मानव का सूझबूझ, देख-रेख, भाव-भंगिमा बदल जाती है सशंकित हो जाता है, सशंकित होना ही सुरक्षा में खतरा है। अभी तक हम इसी प्रकार संकट को झेलते रहे हैं।

अभी हम मध्यस्थ दर्शन सहअस्तित्ववाद को पाकर अर्थात् सहअस्तित्ववादी नजरिया से सोच, विचार, निश्चयन, सुनिश्चयन के आधार पर जीना शुरू किये हैं। इससे पता चला मानव लक्ष्य मूलक विधि से सुरक्षित रहता है। सुरक्षा का अनुभव करता है क्योंकि भौतिकवाद के अनुसार रूचिमूलक विधि से सुरक्षा को पाना चाहते रहे और आदर्शवाद के अनुसार भक्ति विरक्ति को सुरक्षा का कवच मानते रहे इन दोनों विधि से प्रमाणित होना बना नहीं। सहअस्तित्ववादी नजरिये से सफल होना बन गया। क्योंकि मूल्यों के आधार पर लक्ष्य के अर्थ में जितने भी सोच विचार और समझ अपने आप में समाधान होना पाया जाता है। इसी तथ्य के आधार पर तन, मन, धन रूपी अर्थ का सदुपयोग सुरक्षा करना बन पड़ता है। इसका स्पष्ट झाँकी यही रहा तन, मन, धन रूपी अर्थ का सदुपयोग स्वयं सुरक्षित होने का अनुभव करा देता है। अर्थ अपने में उक्त प्रकार से मानव के साथ वर्तमान रहता है।

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