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के फलन में ही हो पाता है। ये सभी प्रयास और फलन बहुआयामी विधि से मानव कुल में ही सार्थक हो पाता है।

सार्थकता के लिए व्यवहार एक मुद्दा है। व्यवहार में संबंधों को पहचानना होता ही है। इन संबंधों को पहचानने के रूप में कम से कम विश्वास मूल्य प्रमाणित होना एक स्वाभाविक उपलब्धि है, प्रक्रिया है। विश्वास होने के आधार पर आरंभ होते हुए प्रयोजनों को, लक्ष्यों को और प्रक्रियाओं को पहचानने के अर्थ में हर संवाद सार्थक होता है। मानव संबंधों में ही कृतज्ञता, गौरव, श्रद्धा, प्रेम, विश्वास, वात्सल्य, ममता, सम्मान, स्नेह सार्थक होते है। ये सब अभ्युदय के अर्थ में ही प्रयोजनशील होना पाया जाता है। अभ्युदय स्वयं में सर्वतोमुखी समाधान है। मानव ही इसका धारक वाहक है। संबंधों में ही इसका प्रमाण होना शाश्वत सत्य है। इसी आधार पर मानव परिवार से अखण्ड समाज तक समाधान सूत्र को फैला पाते है। यही व्यवहारात्मक जनवाद का प्राण तत्व है।

हर व्यक्ति व्यवहार प्रवृत्ति में रहता है क्यों कि किसी न किसी मानव के साथ जीना है। मानव में होने वाले कुछ भी कार्यकलापों के अनन्तर अर्थात् मानवेत्तर प्रकृति के साथ किया गया सभी कार्यकलाप के अनन्तर जीने का पहचान मानव के साथ ही सार्थक होता है। जीव जानवरों के साथ हम कितने भी प्यार से अथवा नाराजगी से, अपने मनमानी विधि से कर ले मानव के साथ ही हमें जीना होता है। अन्ततोगत्वा मानव के साथ मानव जागृतिपूर्वक नियम, मर्यादा, सम्मान के साथ अपनी पहचान बना लेता है। इसी विधि से दूसरे की पहचान कर लेता है। इसी से जीने का विश्वास होना पाया जाता है। जागृत मानव अपने प्रतिभा और व्यक्तित्व की पहचान बनाने में तत्काल समर्थ होता है। इसमें कठिनाई तभी आती है जब भ्रमित आदमी के साथ अथवा भ्रमित आदमी जागृत आदमी के साथ जीना होता है इस विधि से निष्कर्ष को पाना आवश्यक है ही।

जागृत आदमी के साथ एक या अनेक भ्रमित आदमी जीने की स्थिति में जिम्मेदारी जागृत आदमी की ही होती है कि भ्रमित आदमी को जागृत पद के लिये और जागृति के लिए प्रेरित करे। मूलत: एक पक्ष जागृत रहना मुख्य मुद्दा है। अब जागृति हमारे संवाद का मुद्दा बनता है। जागृति का तात्पर्य ही है जानना, मानना, पहचानना, निर्वाह करना। इसमें से पहचानने, निर्वाह करने का क्रियाकलाप है यह मिट्टी-पत्थर पाषाण सभी अपनी सजातीय-विजातीय पहचान बनाने में समर्थ होता हुआ देखने को मिलता है। क्योंकि एक ही जाति के परमाणु अणु और अणु रचित

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