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उभर आया। संतुष्ट और असंतुष्ट दोनों अपने तौर तरीके से पेश आते आये। उक्त दोनों उपक्रम अभी तक देश और धरती के उपकार में नहीं लग पाया। ये सब अन्ततोगत्वा उसी बंटवारे के चक्कर में फँसते ही आए। राज्य पुरुषों का उद्गार सुनने में आता है 15- 20 प्रतिशत सरकारी धन ही सार्थक रूप में लग पाता है। बाकी सब बीच में दल-दल में फँस जाता है। ये सब सुनने-देखने के बाद समझ में आता है इससे मुक्ति पाना जरूरी है यह भ्रष्टाचार का पहला चक्कर है। दूसरा चक्कर अनुदान है। अनुदान का मतलब देने के बाद लेना नहीं। एक बार दो बार अनुदान पाने के बाद प्रकारान्तर से और पाने की मानसिकता बनी ही रहती है। अनुदान पाने वाला व्यक्ति अनुदान पाते रहना ही अपना हक समझता है। जबकि यह प्रक्रिया निरंतर नहीं हो सकती। वह सफल न होने की स्थिति में असंतुष्ट होना स्वाभाविक है। इस ढंग से असंतुष्ट होने का तरीका ही हो गया। तीसरा चक्कर आरक्षण है आरक्षण जाति विशेष पर आधारित होने पर वह आरक्षण प्रतिभा संकट का कारण हो गई। प्रतिभा संकट का तात्पर्य जो प्रतिभाएं जिनके लिए योग्य होती है उसे नकारने से, उपेक्षा करने से, उनकी प्रतिभा देश, राष्ट्र, राज्य के हित में नियोजित नहीं कर सके। उसे हित कार्य के लिए नियोजित नहीं करने से वह सार्थक हो नहीं पाया। इन दोनों प्रकार से इंगित क्षतियों को संकट का नाम दिया। इसमें होना क्या चाहिए इस मुद्दे पर सार्थक संवाद होना चाहिए। होने के लिए सहअस्तित्ववादी विधि से यही सूझता है कि हर व्यक्ति को, हर सामुदायिक व्यक्ति को समझदारी से सम्पन्न किया जाए, हर समझदार व्यक्ति विधिवत अपनी प्रतिभा को व्यवस्था और समग्र व्यवस्था में प्रायोजित करना बनता ही है। इस विधि से आरक्षण और अनुदान निष्पन्न जितनी भी गन्दगी है, मिटाने का दिन आ सकता है। इस पर ज्ञान चर्चा की आवश्यकता है ही।

अभी तक राजनेताओं को सर्वाधिक अभिनय कार्य के रूप में होना पाया गया। इसलिए पहले से कलात्मक अभिनय करने वाली प्रतिभाएँ, राजनेता होने के लिए उम्मीदवार हुए। ऐसे उम्मीदवारों में कुछ सफल भी हुए कुछ सफल नहीं हुए। जो अभिनय कार्यों में नहीं लगे है ऐसे व्यक्ति भी कुछ सफल हुए कुछ सफल नहीं हुए।

समुदाय विधि से भी नेतागिरी का आह्वान जन मानस से उभरी जैसे पिछड़े हुए समुदाय, कमजोर समुदाय, अल्प संख्यक समुदाय, महिला समुदाय आदि नामों से पहचाना गया। यह भी सब इनमें से जन प्रतिनिधि होने और कोई न कोई पद पर आसीन होने का प्रयत्न किये कुछ लोग सफल हुए कुछ लोग सफल नहीं हुए। अन्ततोगत्वा इन सभी प्रकार से पहुँचे हुए जनप्रतिनिधियों

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