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मध्यस्थ दर्शन के मूल तत्व

  1. 1. उद् घोष
  • जीने दो और जियो।
  1. 2. मंगल-कामना
  • भूमि: स्वर्गताम् यातु,

मानवो यातु देवताम्,

धर्मो सफलताम् यातु,

नित्यम् यातु शुभोदयम्॥

  • भूमि स्वर्ग हो,

मानव देवता हों,

धर्म सफल हो,

नित्य मंगल हो॥

  1. 3. अनुभव ज्ञान
  • सत्ता में सम्पृक्त जड़-चैतन्य प्रकृति, सत्ता (व्यापक) में सम्पृक्त जड़-चैतन्य इकाईयाँ अनन्त।
  • व्यापक (पारगामी व पारदर्शी) सत्ता में सम्पृक्त सभी इकाईयाँ रूप, गुण, स्वभाव व धर्म सम्पन्न, त्व सहित व्यवस्था, समग्र व्यवस्था में भागीदारी के रूप में है।
  1. 4. सिद्धान्त
  • श्रम-गति-परिणाम।
  1. 5. उपदेश
  • जाने हुए को मान लो।

माने हुए को जान लो।

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