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  • # पदार्थ के संगठन तथा अवस्था भेद से ही पदार्थ की मात्रा एवं रूप की अवधियाँ हैं ।
  • समस्त पदार्थ ठोस, तरल अथवा विरल (वायु) के रूप में उपलब्ध हैं । इन अवस्थाओें में पदार्थ तात्विक, यौगिक अथवा मिश्रण के रूप में प्राप्त है ।
  • तात्विक :- सजातीय परमाण्विक समूह के गठन की तात्विक संज्ञा है ।
  • मिश्रण :- विजातीय परमाण्विक अथवा आण्विक समूह का ऐसा गठन जिसमें सभी अपने-अपने आचरण को बनाये रखते हैं ।
  • यौगिक :- दो या अधिक प्रजाति की वस्तुयें निश्चित अनुपात से मिलकर, अपने-अपने आचरण को त्याग कर, अन्य प्रकार के आचरण को प्रस्तुत करते हैं ।
  • यौगिक में रासायनिक तथा भौतिक दोनों परिणाम होते हैं, जबकि मिश्रण में केवल भौतिक परिणाम होते हैं ।
  • परमाणुओं के मध्यांश एवं आश्रित कणों के संख्या भेद से परमाणुओं की जाति एवं अवस्था और मात्रा का निर्णय होता है ।
  • वायु :- विरल पदार्थ राशि के नृत्य (तरंग) रूप में गतिशीलता वायु है । जिनके योग से द्रव एवं ताप का प्रसव है ।
  • योग :- मिलन को योग संज्ञा है । योग के दो भेद हैं ।

1. ऐक्य, 2. सहवास

  • ऐक्य :- सजातीय मिलन की ऐक्य संज्ञा है ।
  • सहवास :- जिस योग के अनन्तर विलगीकरण संभव हो, उसकी सहवास संज्ञा है ।
  • # सहवास के अनन्तर उन्नति की ओर प्राप्त सम्वेगों की प्रेरणा संज्ञा है तथा इसके विपरीत प्राप्त सम्वेगों की प्रतिक्रांति अथवा ह्रास संज्ञा है । धारणा के प्रतिकूल चेष्टा को अथवा समस्या की ओर प्राप्त विवशता की भी प्रतिक्रांति संज्ञा है ।
  • उन्नति :- गुरु मूल्यन की ओर अथवा समाधान की ओर प्रगति ही उन्नति है ।
  • सम्वेग :- संयोग से प्राप्त वेग ही सम्वेग है ।
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