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  • उर्वरा :- बीज को पाकर अनेक बीज को तैयार करने वाली क्षमता से सम्पन्न मिट्टी की उर्वरा संज्ञा है तथा इससे विपरीत गुण स्वभाव वाली मिट्टी की‘अनुर्वरा’ संज्ञा है ।
  • पाषाण का वर्गीकरण कठोर एवं अकठोर भेद से है ।
  • कठोर :- अधिक भार सहने वाले पाषाण की कठोर संज्ञा है ।
  • अकठोर :- कम भार सहने वाले की अकठोर संज्ञा है ।
  • मणि का वर्गीकरण किरण श्रावी एवं किरण ग्राही भेद से है ।
  • किरण :- तप्त बिम्ब का प्रतिबिंबन अपारदर्शक वस्तु पर होना ही किरण है । इकाई से बहिर्निहित अग्नि को ताप संज्ञा है ।
  • किरण स्रावी :- किरण के प्रभाव से प्रसारण क्रिया करने वाले मणि को किरण स्रावी तथा ग्रहण करने वाले को किरण ग्राही संज्ञा है ।
  • # पारदर्शक एवं अपारदर्शक भेद से विकिरण और किरण क्रिया में रत है ।
  • विकिरण :- किसी इकाई में अंतर्निहित अग्नि के प्रभाव से प्राप्त प्रसारण को विकिरण संज्ञा है ।
  • रश्मि :- तप्त बिम्ब (प्रकाश के) प्रतिबिम्ब, अनुबिम्ब, प्रत्यानुबिम्ब क्रिया की रश्मि संज्ञा है ।
  • प्रकाश :- इकाई के प्रतिबिम्बन की प्रकाश संज्ञा है ।
  • # विकिरण एवं किरण माध्यम भेद से शोषण या पोषण क्रिया में रत है । प्राकृतिक विधि से पोषण स्पष्ट हो चुका है । भ्रमित मानव द्वारा विकिरणीय प्रयोग से शोषण सिद्ध हो चुका है ।
  • # पदार्थ राशि के संगठित पिण्ड की ग्रह-गोल संज्ञा है जिसके सभी ओर आकाश है ।
  • प्रत्येक ग्रह आकाश में शून्याकर्षण की स्थिति में है । ऐसी हर इकाई अर्थात् ग्रह-गोल आकाश में अपनी गति के अनुसार स्थिति है ।

इकाईयाँ धनाकर्षण की स्थिति में किसी की ओर आकर्षित तथा ऋण-आकर्षण की स्थिति में किसी को आकर्षित करती है तथा शून्याकर्षण की स्थिति में स्वतंत्र है ।

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