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  • धारणा :- जिससे जिसका विलगीकरण संभव न हो, वह उसकी धारणा है । जो चारों पदों में अपने-अपने स्थिति के अनुसार स्पष्ट है ।
  • समस्या :- किसी भी घटना अथवा क्रिया की समझ न होना ही समस्या है अथवा कैसे और क्यों समझ में न आना समस्या है ।
  • समाधान :- किसी भी घटना अथवा क्रिया के नियम की समझ होना ही समाधान है अथवा कैसे और क्यों की पूर्ति ही समाधान है ।
  • गुरुमूल्यन :- दीर्घ कालीन परिणाम अथवा अपरिणामिता गुरुमूल्यन है ।
  • सहवास में ही प्रेरणा का प्रसव और अनुभव है तथा इसके विपरीत विवशता को प्रतिक्रांति की समीक्षा है ।
  • प्रेरणावादी सहवास से उभय सुकृतियाँ प्रतिक्रांतिवादी सहवास से उभयविकृतियाँ हैं ।
  • उभय सुकृतियाँ :- गुरुमूल्यन अथवा दीर्घ परिणाम या अपरिणामिता ।
  • उभय विकृतियाँ :- अवमूल्यन की ओर द्रुत परिणाम या ह्रास या समस्या की ओर द्रुत परिणाम ।
  • सहवास ही सृष्टि (रचना) का मूल कारण है । सहवास सहअस्तित्व में अभिव्यक्ति है । सहअस्तित्व नित्य वर्तमान व नित्य प्रभावी है ।
  • संसार में अथवा अनंत संसार में ऐसी कोई इकाई नहीं है जो उत्थान या पतन की ओर गतित न हो क्योंकि गति रहित कोई इकाई नहीं है । अत: अनंत के लिये मात्र दो ही गतियाँ हैं ।
  • ठोस पदार्थ राशि के नृत्य (तरंग) मिश्रण एवं यौगिक विधियों से समस्त रस एवं उपरस का प्रसव है ।
  • पदार्थ राशि का वर्गीकरण चार जातियों में है :

1. मृद् (मिट्टी), 2. पाषाण, 3. मणि और 4. धातु ।

  • मृद् अथवा मिट्टी उर्वरा और अनुर्वरा भेद से है ।
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